Uncharted Depths
Sailing through Unexplored Seas.......
Monday, December 1, 2008
मृगतृष्णा / Mirage
इस मरुचिका में भटकती
मृगतृष्णा सी मेरी आस
जैसे मृग को है दौड़ाती
उसके सूखे कंठ की प्यास
कभी सुलझती फिर उलझती
अनेकों नए प्रशनों के साथ
भूलभुलैया सी है आती
जीवन पथ में हर नयी प्रातः
1 comment:
Jit
said...
Beautiful Deep Touchin' indeed !! :)
December 1, 2008 at 6:11 PM
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1 comment:
Beautiful Deep Touchin' indeed !! :)
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