Tuesday, May 4, 2010

यदि हिंदी भाषा का पूर्णतः आनंद लेना हो तो मुंशी प्रेमचंद या जयशंकर प्रसाद का साहित्य पढना चाहिए. Reading Jayshankar Prasad's Story collection 'आकाशदीप', and the language is ultimate. sample - तारक-खचित नील अम्बर और समुद्र के अवकाश में पवन उधम मचा रहा था समुद्र में हिलोरें उठने लगी नौका लहरों में विकल थी लहरों के ...धक्के स्पर्श से पुलकित कर रहे थे मुक्ति की आशा-स्नेह का असंभावित आलिंगन Enjoying it throughly...


तरंगें उद्वेलित हुई, समुद्र गरजने लगा भीषण आंधी पिशाचिनी के समान नाव को हाथों में लेकर कन्दुक-क्रीडा और अट्टाहास करने लगी ....... अनंत जलनिधि में उषा का मधुर आलोक फूट उठा सुनहली किरणों और लहरों की कोमल सृष्टि मुस्कुराने लगी दूसरे ही क्षण प्रभात की किरणों में बुधगुप्त का चेहरा हर्षातिरेक हो दमक उठा ...... मैं अपने अदृष्ट को अनिर्दिष्ट ही रहने दूँगी .....and so much more....!!!

From another Story - क्षितिज में नील जलधि और ब्योम का चुम्बन हो रहा है शांत प्रदेश में शोभा की लहरियाँ उठ रही हैं गोधूली का करुण प्रतिबिम्ब, बेला की बालुकामयी भूमि पर दिगन्त की तीक्षा आ आह्वान कर रहा है नारिकेल के निभृत कुंजों में समुद्र का समीर अपना नीड़ खोज रहा है सूर्य लज्जा या क्रोध से नहीं, अनुराग से लाल, किरणों से शून्य, अनन्त रसनिधि में डूबना चाहता है

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