Wednesday, February 27, 2008

Day Dreaming

मैं जितनी दूर मंजिल की तलाश में चलता गया
मुझे अपना ही अक्स कुछ बदलता सा लगा
जब पहुँचा उस मंजिल पे जिसकी मुझे तलाश थी
क्या देखा की ये मैं नहीं, ख्यालों में डूबी मेरी तन्हाई थी

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